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हमारी दुनिया कई सारे रंगों से भरी हुई है | जहां एक तरफ कई सारे रंग और उमंगे जिंदगी जी रही होती है, जहां एक ही इंसान कई प्रकार के रिश्ते निभाता है, उसकी जिंदगी में कभी खुशियां तो कभी गम के पल भी दस्तक देते हैं | कई सारे इंसानी जज़्बातों से भरी है ये खूबसूरत दुनिया | इस खूबसूरत दिखने वाली दुनिया के कई और भी पहलू हैं, कई राज़ भी हैं पर आज बात सिर्फ इंसान और उसकी जिंदगी से जुड़े कुछ अहम रिश्तों की होगी, कुछ ऐसे रिश्ते जो शायद इस दुनिया के मायावी जंजालों में अपना अस्तित्व और अपनी परिभाषाए खोते जा रहे है| कुछ ऐसे रिश्ते जो दुनिया का लगभग हर इंसान किसी न किसी रूप में निभाता ही है | कुछ ऐसे रिश्ते जो अपने में ही कुछ खास हैं, जिन्हें निभाना इतना कठिन तो नही बशर्ते सच्चाई से निभाए जाए तो, जो की आज की इस दुनिया में गायब सी है (सच्चाई)|

थोड़ा सा अजीब जरूर लगेगा कि आज की भागती और खुदगर्ज दुनिया में सच्चाई और अच्छाई की बात करना और रिश्तों के असली मायने समझना, क्योकि जाने अनजाने हम इंसानियत से एक कदम आगे की ओर बढ़ चुके हैं, हम शायद ज्यादा समझदार और वास्तविकता में जीने लगे हैं। लेकिन फिर भी अंत में हैं तो इन्सान ही... जिसमे भावनाऐं और सच्चाई कहीं न कहीं छुपी जरूर है। इसके आगे समझने के लिए आपको थोड़ा दुनिया से हट कर विचार करना पड़ेगा...

मैं बात कर रहा हूँ उस रिश्ते की जहां दुनिया आकर थम जाती है। जहां दुनिया के कई सारे नियम आकर खत्म हो जाते हैं। जिसका अपना एक अनोखा इतिहास रहा है जो शायद इंसान के अस्तित्व से ही इस दुनिया में आया और अंत तक रहेगा। जिसने कई मासूमों की जान ले ली पर उसका खुद का दामन बेदाग रहा। जिसका अहसास इस दुनिया के किसी भी रिश्ते से बिल्कुल अलग और जिसके मायने बड़े गहरे हैं। मैं उस रिश्ते की बात कर रहा हूँ जो दो इंसानी शरीरों को ऐसे जोड़ देता है कि मानो वो एक ही शख्स हो। इसका जीता जागता उदाहरण मां और बेटे का रिश्ता है जिसे हम प्यार का रिश्ता कहते हैं। वो ही रिश्ता जो भगवान कृष्ण और राधा जी में था..अटूट प्रेम और विश्वास। वो रिश्ता जिसके लिए मीरा ने जहर तक पी डाला...बेशर्त इश्क। हो सकता है कई लोगो के लिए इसे समझना इतना मायने न रखता हो पर जिसे जिंदगी को समझना है उसके लिए इसके मायने जरूर होंगे...
आज दुनिया में प्यार के मायने बहुत बदल से गए हैं। यहां हर इंसान आशिक बना फिर रहा है। कई रिश्ते भी इस प्यार के नाम पर सदियों से निभाए जा रहे हैं। कई झूठे वादे और झूठी कसमे इस प्यार के नाम पर खाई जाती हैं।आज के समय की बात करे तो बड़ा ही डरावना माहौल बना हुआ है। जहां न जाने कैसे कैसे कुकृत्य इस प्यार के नाम पर लोग कर रहे है। इसे समझना मेरे लिए और भी जरूरी हो जाता है जब मैं लोगो को प्यार के नाम पर किसी की जिंदगी से खेलते देखता हूँ। लोग प्यार के नाम पर अपनी भूख मिटा रहे हैं और बदनाम ये रिश्ता हो रहा है। इस लिहाज़ से ये जरूरी है की प्यार का असली मतलब समझा जाए और दुनिया में चल रहे खिलवाड़ को आईना दिखाया जाए। तो अब हम प्यार को करीब से समझने की कोशिश करते है...
प्यार होता क्या है? इसके मायने क्या है? क्या दुनिया के सभी रिश्तों में प्यार होता है या बिना किसी रिश्ते के भी प्यार हो सकता है? और अगर इन रिश्तों में प्यार नही है तो है क्या ? और क्यों इस प्यार के नाम पर हर इंसान आशिक बना फिर रहा है? ऐसे ही न जाने कितने ही सवाल है जिन्हें आज समझेंगे।
आकर्षण, जरूरत, चाहत और प्यार में बड़ा ही बारीख सा अंतर होता है, शायद तभी आम इंसान इन्हें समझ ही नही पाता। लेकिन ये सभी एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। इंसान कभी अपनी जरूरतों को चाहत का चोला पहना देता है तो कभी किसी के प्रति आकर्षण को प्यार का नाम दे देता है। वो समझ ही नही पाता की जिसे वो प्यार प्यार चिल्ला रहा है वो सिर्फ एक आकर्षण हैं फिर चाहे वो किसी की खूबसूरती देख कर हो या किसी की उपयोगिता देख कर, और आकर्षण हमेशा कुछ समय का ही होता है क्योंकि जैसे ही आपको वो इंसान या वो चीज़ मिल जाएगी और जब आपकी उससे जरूरते पूरी हो जाएंगी, तब उसके प्रति आपका आकर्षण कम होने लगेगा और फिर आप धीरे धीरे उससे दूर भागने लगेंगे। ये इसलिए होगा क्योंकि वो प्यार नही केवल आकर्षण था जो धीरे धीरे खत्म होता गया। हमे अपने आस पास ऐसे अनेको रिश्ते मिल जाएंगे जिनकी शुरूआत तो बड़ी शानदार थी पर उनकी उम्र बहुत कम रही क्योकि वो समझ ही नही पाए कि प्यार तो हुआ ही नही था, वो केवल आकर्षण था या फिर कोई जरूरत जो एक दिन खत्म हो गई और रिश्ता भी.. पर बदनाम प्यार हुआ।
ऐसे कई रिश्ते हैं जिन्हें जबरदस्ती प्यार का चोला पहना दिया जाता है। जबरदस्ती उन्हें निभाया जाता है। लेकिन जहां प्यार होता है वहां रिश्ते निभाए नहीं, जिए जाते है, वहां रिश्तों को पकड़े रहने की जरूरत नही होती है, वो खुद ही बढ़ते चले जाते हैं।
मैंने अक्सर ये सुना है कि प्यार कोई बच्चों का खेल नही, मतलब शायद बड़ी समझ की जरूरत होती होगी इसके लिए; लेकिन ऐसा नही है। एक असली प्यार को किसी प्रकार की सोच समझ की जरूरत नहीं होती। ये सोच समझ दुनियादारी में काम आती है, प्यार में नही। और वो इसलिए कि जिस दिमाग का इस्तेमाल करके आप किसी की अच्छाइयां और खूबियां देख कर प्यार होने का दावा कर रहे, दूसरे ही पल वो दिमाग आपको उसकी कमिया भी दिखा ही देगा और तब ये प्यार धीरे धीरे खत्म होने लगेगा, क्योकि दिमाग बहुत बड़ा व्यापारी है, प्रेमी नही..
शायद बड़ा अजीब लगे पर मेरा मानना है कि प्यार कभी भी दो लोगो में नही हो सकता है। दो लोगो में कोई सौदा हो सकता है, दो लोग एक दूसरे की जरूरते पूरी कर सकते है पर प्यार नही। क्योकि जहां दो लोग आ जाते है यानी एक मैं और एक तुम; मैं ऐसा हूँ और तुम ऐसे हो...; यहां तो दो लोगो में बटवारा हो गया और अब आपका दिमाग काम कर रहा होता है जो कभी प्यार कर ही नही सकता। मतलब साफ है कि आपको प्यार करने के लिए उस इंसान से एक होना पड़ता है। एक होने का मतलब उसकी बुराइयों को अपनी बुराइयां और उसकी खूबियों को अपनी खूबियों की तरह देखना पड़ता है। एक होने का मतलब है किसी की गलतियों को अपनी गलतियां और किसी की सच्चाई को अपनी सच्चाई बनाना पड़ता है। मतलब साफ है जहां दो मन एक हों, जहां कोई ऊंचा और नीचा न हो, जहां कोई भेदभाव न हो, जहां दो लोगो का दुख और सुख एक हो जाए और जहाँ 'मैं' और 'तुम' न आते हों वहां प्यार होता है, वहीं सच्चा प्यार होता है। जहां कुछ पाने की जल्दबाजी न हो, जहां मन इतने एक हों कि बिन शब्दों के ही बाते समझी जा सके और जहां मंजिले नही रास्ते अहमियत रखते हो, वहां प्यार होता है।
मैं जब आज कल के रिश्तों को देखता हूँ तो रिश्ते कम सौदेबाजी ज्यादा लगती है जहां हर शख्स को कुछ न कुछ चाहिए किसी चीज या किसी बात के बदले। लोग न जाने कितने बड़े बड़े वादे और कसमे खा लेते है, क्योकि वो डरते है और उन्हें खुद के रिश्ते पर भरोसा ही नही होता। एक सच्चे प्यार में विश्वास की जरूरत होती है कसमो और वादों की नही और न ही किसी सौदेबाजी की।
हां एक तरह से दुनिया की भाषा में कह सकते है की प्यार और पागलपन में ज्यादा अंतर नही होता क्योकि दोनों ही स्थितियों में दिमाग का कोई काम नही होता है पर एक सच्चा प्यार इंसान को सच्चाई और अच्छाई से रूबरू कराता है जो ये खुदगर्ज दुनिया कभी नही करा सकती..   

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